كان أبو عامر حسن الوجه كامل الصّورة | |
كانت الشوارع تخلو من العابرين | |
يتعمّدون الحضور إلى باب داره | |
في الشارع الآخذ من النّهر | |
الصّغير على باب دارنا | |
في الجانب الشّرقي بقرطبة | |
إلى الدرب | |
المتّصل بقصر الزّهـــراء | |
كانت دارُهُ ملاصقةً لَنـا | |
وكانوا يحضرون | |
لا لشيء | |
إلاّ للنظر منه | |
أعرفكنّ واحدةً | |
واحدةً | |
يا ميّتات من محبّته | |
قتيلات من الوحدة |